कड़वा सच
काले पन्ने हर जिंदगी का हिस्सा होते है۔۔””
लेकिन कसकते वही हैं जिनकी स्याही वक्त के साथ फीकी नहीं पड़ती..!!
विरले ही लोग हैं जो स्त्रियों के जिस्म से ज्यादा उनके बजूद के बारे में सोचते हैं..!!
लोगों की हवस भरी ललचाती निगाहें कपड़ों से झांकती गरीबी का एक्सरा करती रहती हैं..””
विरले ही लोग हैं जो उसे कपड़े और जेवर पहनाने की तमन्ना रखते हैं..!!
वेश्यालय नारी चलाती है पुरुष तो एक कड़ी मात्र है..!!
काश नारी नारी की ढाल होती तो..””
कोई भी वेश्यालय किसी भी युग में नहीं पनपता..!!
नारी पर होने वाले हर अत्याचार में नारी ही नारी की दुश्मन बनकर पुरुष का साथ देती है..!!
नारी के साथ बुरा होते देख कर भी नारी तटस्थ रहती है..””
साथ ही स्वयं भी चुप रहकर अत्याचार सहती है..!!
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Shnaya
18-Feb-2024 07:25 AM
Nice one
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Mohammed urooj khan
17-Feb-2024 02:42 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
16-Feb-2024 11:18 PM
Nice
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